‘विद्यालयों और गांवों के अनोखे प्रयास; हमारे स्कूलों के लिए सपना जो बन सकता है हकीकत’

एक अंकीय कोई भी सवाल किसी बच्चे को दे दें, वह झट से आपको हल करके बता देगा। थोड़ी देर बाद हम सभी बाहर गए। खेल के मैदान में, भाग-दौड़ के साथ शोर मचने लगा। ऐसी खुशी की, खेलने की आवाज़ जो हिंदुस्तान की लाखों पाठशालाओं में महीनों से सुनी नहीं गई है|

Read More

‘यह तय हो कि 16 साल तक की आयु तक क्या करना और सोचना आना चाहिए; 10वीं तक की शिक्षा-परीक्षा अब ऐसी होनी चाहिए’

कोविड की पीड़ा के बाद यह सोचना ज़रूरी हो गया है कि कक्षा नौ और दस के साथ क्या करना चाहिए? जो पहले से होता आया है वही होना चाहिए या कोई दूसरा रास्ता ढूंढा जा सकता है?

Read More